तुम तन्हाई में मेरी तस्वीर चूमती हो क्या। “हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो…” वही कारवाँ वही रास्ते वही ज़िंदगी वही मरहले कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ…” https://youtu.be/Lug0ffByUck