मिल मालिक की सारी अनुनय-विनय बेकार गई। देश के प्रधानमंत्री ने कम मूल्य की साड़ियाँ ही दाम देकर अपने परिवार के लिए खरीदीं। ऐसे महान थे शास्त्रीजी, लालच जिन्हें छू तक नहीं सका था। एक दिन, एक चोर जो पुराने कंजूस की दिनचर्या जानता था, बूढ़े व्यक्ति के अपने घर https://lokhitkhabar.com/